आज के समय में जैविक खेती (Organic Farming) की मांग तेजी से बढ़ रही है। लोग अब स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं, जिससे जैविक उत्पादों (Organic Products) की मांग भी बढ़ गई है। यदि आप भारत में जैविक खेती करना चाहते हैं और अपने उत्पादों को बाजार में प्रमाणित (Certified) रूप में बेचना चाहते हैं, तो आपको FSSAI, NPOP, और PGS जैसे प्रमाणपत्रों की आवश्यकता होगी।
इस लेख में, हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि India me organic farming ke liye certification kaise lein? (FSSAI, NPOP, PGS) और इसके लिए आवेदन प्रक्रिया क्या है।
1. भारत में जैविक खेती प्रमाणन क्यों आवश्यक है?
भारत में जैविक खेती (Organic Farming) तेजी से लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि लोग स्वास्थ्य और पर्यावरण को लेकर अधिक जागरूक हो रहे हैं। लेकिन जैविक खेती को सफल और विश्वसनीय बनाने के लिए प्रमाणन (Certification) का होना बहुत जरूरी है। प्रमाणन यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद वास्तव में जैविक हैं और किसी प्रकार के रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक का उपयोग नहीं किया गया है।
आजकल बाजार में जैविक उत्पादों (Organic Products) की मांग बहुत अधिक है, लेकिन बिना प्रमाणन के इन्हें बेचना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, प्रमाणन प्राप्त करना किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए लाभकारी है। आइए विस्तार से समझते हैं कि भारत में जैविक खेती प्रमाणन क्यों आवश्यक है।
1. जैविक उत्पादों की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए
भारत में जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन बिना प्रमाणन के कोई भी उत्पाद जैविक कहलाने का दावा कर सकता है। इससे उपभोक्ताओं को असली और नकली जैविक उत्पादों में अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है। प्रमाणन किसानों को यह अधिकार देता है कि वे अपने उत्पाद को सच्चे जैविक उत्पाद के रूप में साबित कर सकें और उपभोक्ता भी उन पर भरोसा कर सकें।
2. बाजार में जैविक उत्पादों की वैधता सुनिश्चित करने के लिए
सरकार द्वारा जैविक उत्पादों की पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं। यदि कोई किसान या व्यापारी बिना प्रमाणन के जैविक उत्पाद बेचता है, तो यह अवैध माना जा सकता है। भारत में FSSAI, NPOP और PGS जैसी संस्थाएं प्रमाणन प्रदान करती हैं, जिससे जैविक उत्पाद कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त होते हैं।
3. अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात के लिए आवश्यक
भारत से जैविक उत्पादों का निर्यात (Export) करने के लिए प्रमाणन अनिवार्य होता है। कई देशों में जैविक उत्पादों के लिए कड़े नियम होते हैं, जिनका पालन करने के लिए NPOP (National Programme for Organic Production) और APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) से प्रमाणन लेना जरूरी होता है। यह प्रमाणन उत्पाद की गुणवत्ता की पुष्टि करता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जैविक उत्पादों की स्वीकार्यता बढ़ाता है।
4. किसानों को अधिक मुनाफा दिलाने के लिए
जैविक खेती करने वाले किसानों को पारंपरिक खेती करने वालों की तुलना में अधिक मुनाफा मिल सकता है, क्योंकि जैविक उत्पादों की कीमत अधिक होती है। लेकिन प्रमाणन के बिना किसान अपने उत्पादों को उचित दाम पर नहीं बेच सकते। प्रमाणन प्राप्त करने के बाद किसान अपने उत्पादों को “Certified Organic” के रूप में बेच सकते हैं, जिससे उन्हें अधिक कीमत मिलती है और उपभोक्ताओं का भरोसा भी बढ़ता है।
5. उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए
आजकल लोग स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की ओर बढ़ रहे हैं और वे रासायनिक मुक्त (Chemical-Free) और जैविक उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। प्रमाणन प्राप्त जैविक उत्पाद यह सुनिश्चित करते हैं कि वे किसी भी हानिकारक रसायन, कीटनाशक, या मिलावट से मुक्त हैं। इससे उपभोक्ताओं को सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद मिलते हैं।
6. सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और योजनाओं का लाभ उठाने के लिए
भारत सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की सब्सिडी और योजनाएं चलाती है, जैसे कि PKVY (Paramparagat Krishi Vikas Yojana) और NMSA (National Mission for Sustainable Agriculture)। इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किसानों को प्रमाणन प्राप्त करना आवश्यक होता है। यदि किसी किसान के पास प्रमाणन नहीं है, तो वह सरकारी लाभों से वंचित रह सकता है।
7. जैविक खेती में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए
यदि जैविक खेती के लिए कोई प्रमाणन प्रणाली न हो, तो हर किसान जैविक खेती का दावा कर सकता है, भले ही वह जैविक पद्धतियों का पालन न कर रहा हो। इससे बाजार में भ्रम की स्थिति बन सकती है और असली जैविक उत्पादों की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है। प्रमाणन पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाता है कि वे सही जैविक उत्पाद खरीद रहे हैं।
8. ब्रांडिंग और मार्केटिंग में सहूलियत
प्रमाणन मिलने के बाद किसान अपने उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग कर सकते हैं। कई बड़े सुपरमार्केट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म केवल प्रमाणित जैविक उत्पादों को ही बेचते हैं। यदि कोई किसान जैविक खेती का प्रमाणन प्राप्त कर लेता है, तो उसे अपने उत्पादों को ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार में बेचने में आसानी होती है।

2. भारत में जैविक खेती के लिए प्रमुख प्रमाणन
भारत में जैविक खेती के लिए तीन प्रमुख प्रमाणन होते हैं:
1. FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India)
FSSAI प्रमाणन सभी खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है।
2. NPOP (National Programme for Organic Production)
यह भारत सरकार द्वारा संचालित एक योजना है, जो जैविक खेती के मानकों को स्थापित करती है।
3. PGS (Participatory Guarantee System)
यह छोटे किसानों के लिए एक सामुदायिक-आधारित प्रमाणन प्रणाली है।
3. FSSAI प्रमाणन कैसे प्राप्त करें?
FSSAI प्रमाणन प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
चरण 1: FSSAI पोर्टल पर पंजीकरण करें
- FSSAI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
- “FoSCoS” पोर्टल पर एक नया खाता बनाएं।
चरण 2: आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें
- पहचान पत्र (Aadhar Card, PAN Card)
- बिजनेस पंजीकरण प्रमाणपत्र (GST, MSME प्रमाणपत्र)
- जैविक खेती प्रमाणपत्र (यदि उपलब्ध हो)
चरण 3: आवेदन शुल्क जमा करें
- आवेदन शुल्क ऑनलाइन जमा करें।
- आवेदन सबमिट करने के बाद निरीक्षण किया जाएगा।
चरण 4: FSSAI प्रमाणन प्राप्त करें
- यदि सब कुछ सही पाया जाता है, तो आपको FSSAI प्रमाणन मिल जाएगा।
4. NPOP प्रमाणन कैसे प्राप्त करें?
NPOP प्रमाणन भारतीय जैविक उत्पादों के लिए आवश्यक है। यह APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) के अंतर्गत आता है।
चरण 1: NPOP प्रमाणित एजेंसी से संपर्क करें
भारत में कई प्रमाणित एजेंसियां NPOP प्रमाणन प्रदान करती हैं, जैसे:
- INDOCERT
- OneCert International
- ECOCERT India
चरण 2: आवेदन पत्र भरें
- ऑनलाइन आवेदन करें या प्रमाणन एजेंसी से संपर्क करें।
- भूमि का विवरण, उत्पादों की सूची और खेती की विधियां जमा करें।
चरण 3: निरीक्षण प्रक्रिया
- जैविक खेती पद्धतियों की जांच के लिए अधिकारी आपकी खेती का निरीक्षण करेंगे।
चरण 4: प्रमाणन प्राप्त करें
- यदि सभी मानदंड पूरे होते हैं, तो आपको NPOP प्रमाणन मिल जाएगा।
5. PGS प्रमाणन कैसे प्राप्त करें?
PGS छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के लिए एक सस्ती प्रमाणन प्रणाली है।
चरण 1: PGS-India पोर्टल पर पंजीकरण करें
- PGS-India की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
चरण 2: स्थानीय समूह से जुड़ें
- PGS प्रणाली में किसानों के समूहों द्वारा प्रमाणन दिया जाता है।
- जैविक खेती करने वाले किसानों के समूह में शामिल हों।
चरण 3: समूह द्वारा निरीक्षण
- आपका समूह आपकी खेती की प्रक्रिया का निरीक्षण करेगा।
चरण 4: PGS प्रमाणन प्राप्त करें
- यदि आपकी खेती जैविक मानकों के अनुसार होती है, तो आपको PGS प्रमाणन मिलेगा।
6. जैविक खेती प्रमाणन के लिए आवश्यक दस्तावेज
- पहचान प्रमाण (Aadhar Card, PAN Card)
- भूमि पंजीकरण दस्तावेज
- मृदा परीक्षण रिपोर्ट
- जैविक खेती योजना का विवरण
- किसान समूह प्रमाणपत्र (PGS के लिए)
7. प्रमाणन प्राप्त करने में कितना समय लगता है?
- FSSAI प्रमाणन: 1-2 महीने
- NPOP प्रमाणन: 6-12 महीने
- PGS प्रमाणन: 3-6 महीने
8. प्रमाणन प्राप्त करने में लागत कितनी आती है?
- FSSAI: ₹2,000 – ₹25,000 (व्यवसाय के आकार पर निर्भर)
- NPOP: ₹20,000 – ₹50,000 (फार्म के क्षेत्रफल पर निर्भर)
- PGS: ₹5,000 – ₹10,000 (सस्ती और सामुदायिक-आधारित प्रक्रिया)
निष्कर्ष
भारत में जैविक खेती के लिए प्रमाणन प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिससे किसान अपने उत्पादों को उच्च कीमत पर बेच सकते हैं। India me organic farming ke liye certification kaise lein? (FSSAI, NPOP, PGS) के इस लेख में हमने प्रमाणन की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया है।
यदि आप एक जैविक किसान हैं, तो आपको उपयुक्त प्रमाणन प्रणाली को अपनाकर अपनी बिक्री और ब्रांड वैल्यू बढ़ानी चाहिए। इससे न केवल आपकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।